शारदीय नवरात्रि कन्या पूजन 2025: जानिए सही विधि
नवरात्रि का त्योहार बस आने वाला है। चारों तरफ भक्ति और उमंग का माहौल है। हम सब माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। नौ दिन का व्रत रखते हैं। हर दिन माँ के एक अलग स्वरूप की आराधना करते हैं!
क्या आप जानते हैं कि इन नौ दिनों की तपस्या का फल हमें तभी मिलता है, जब हम त्योहार को सही तरह से पूरा करें? इस पूजा का सबसे ख़ास हिस्सा है कन्या पूजन।
कई लोग कन्या पूजन के समय और विधि को लेकर थोड़े असमंजस में रहते हैं। इस ब्लॉग में, आप पूरे विधि-विधान से माँ दुर्गा की पूजा करना जानेंगे।
घटस्थापना: नवरात्रि की शुरुआत का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है। यह नौ दिनों की पूजा का सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है!
मान्यता है कि कलश स्थापना के समय ही माँ दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं। वह नौ दिनों तक अपने भक्तों के बीच रहती हैं। इसलिए, इसे सही मुहूर्त में करना बहुत जरूरी है!
शारदीय नवरात्रि 2025 के लिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:
- प्रतिपदा तिथि: 22 सितंबर 2025, सोमवार।
- घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 से 07:45 बजे तक।
- अभिजीत मुहूर्त: 11:49 से दोपहर 12:38 तक।
कन्या पूजन का महत्व: क्यों है ये इतना ख़ास?
आपने ‘कंजके बिठाना’ या ‘कन्या जिमाना’ के बारे में सुना होगा। यह सिर्फ एक रस्म नहीं है। यह हमारी संस्कृति का एक खूबसूरत हिस्सा है। कन्याओं को माँ दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है। जब हम छोटी बच्चियों की पूजा और सम्मान करते हैं, तो हम साक्षात माँ दुर्गा की ही आराधना करते हैं!
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि का व्रत अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन के बाद ही पूरा होता है। अगर आप नौ दिनों तक उपवास भी रखें और कन्या पूजन न करें, तो आपकी पूजा अधूरी रह सकती है। इसीलिए हर घर में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का आयोजन जरूर होता है। यह एक तरह से माँ दुर्गा को धन्यवाद देने का तरीका है!
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन
- महत्व: अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन माँ महागौरी की आराधना होती है।
- पौराणिक मान्यता: मान्यता है कि इस दिन कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- अनुष्ठान: सुबह स्नान के बाद घर पर नौ कन्याओं (2 से 10 वर्ष तक की) को आमंत्रित किया जाता है। उनके चरण धोकर, उन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं|
नवमी तिथि पर कन्या पूजन
- महत्व: नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना और भी विशेष होता है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है|
- पौराणिक मान्यता: कहा जाता है कि नवमी के दिन कन्याओं को पूजने से देवी की सिद्धियाँ और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं|
- अनुष्ठान: सुबह शुभ मुहूर्त (9 से 11 बजे) में कन्याओं का पूजन करें, उन्हें स्वादिष्ट भोजन (खासकर हलवा-पूरी और चने) खिलाएँ और यथाशक्ति भेंट करें|
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 2025
- शुभ समय: सूर्योदय के बाद से दोपहर तक
- सबसे उत्तम समय: सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक
पूजन विधि: सही तरीका
कन्या पूजन कैसे करें? यह सवाल हर किसी के मन में आता है। यह बहुत ही सरल है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना है।
- कन्याओं को बुलाएं: सबसे पहले 9 कन्याओं और एक बालक को घर पर बुलाएं। बालक को हनुमानजी या भैरव का स्वरूप मानते हैं।
- स्वागत और सम्मान: जब कन्याएं आएं, तो उनका तिलक लगाकर और पैर छूकर स्वागत करें। यह सम्मान करना सबसे जरूरी है।
- चरण धोना: एक साफ बर्तन में पानी लेकर उनके चरण धोएं। फिर उन्हें साफ कपड़े से पोंछें।
- आसन पर बिठाएं: उन्हें साफ-सुथरे आसन पर बिठाएं।
- भोजन कराएं: उन्हें प्यार से भोजन परोसें। पूड़ी, चना और हलवा होना जरूरी है। ये तीनों चीजें माँ दुर्गा को बहुत पसंद हैं। आप चाहें तो खीर, मिठाई या फल भी खिला सकते हैं।
- तोहफे देना: भोजन के बाद उन्हें कोई छोटा-सा तोहफा या दक्षिणा जरूर दें। यह आपका सम्मान और प्यार है। आप उन्हें स्कूल का सामान, खिलौने, कपड़े या कोई और उपयोगी चीज दे सकते हैं|
- आशीर्वाद लेना: अंत में, उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
कन्या पूजन में क्या खिलाना चाहिए और क्या देना चाहिए?
कन्या पूजन का मुख्य प्रसाद पूड़ी, चना और हलवा है। इसके अलावा, आप अपनी पसंद के अनुसार फल या मिठाई भी खिला सकते हैं। भोजन पूरी तरह से सात्विक और घर का बना होना चाहिए।
कन्याओं को भेट में क्या देना है , यह आपकी श्रद्धा और सामर्थ्य पर निर्भर है। आप उन्हें कुछ भी दे सकते हैं, जैसे:
- छोटी दक्षिणा या पैसे
- लाल चुनरी
- स्टेशनरी
- खिलौने
- रुमाल
सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जो भी दें, पूरे मन और प्रेम से दें।
आजकल कई लोग काम या किसी वजह से घर पर पूजा नहीं कर पाते। ऐसे में ऑनलाइन पूजा का चलन बढ़ा है। आप किसी धार्मिक संस्था या मंदिर के माध्यम से इसमें भाग ले सकते हैं।
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निष्कर्ष
नवरात्रि का यह पावन पर्व सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं है। यह खुद को माँ दुर्गा से जोड़ने का मौका है। कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक, हर रस्म हमें धर्म और सम्मान सिखाती है। जब हम इन सभी विधियों को दिल से करते हैं, तो माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है। हमारे जीवन में सुख-शांति आती है।
अगर इन त्योहारों से जुड़ी कोई दुविधा या सवाल मन में आए, तो ज्योतिष की सलाह लें। लोग आजकल अपनी समस्याओं के लिए ज्योतिष पर भरोसा कर रहे हैं। आप अनुभवी ज्योतिषियों से बात करके अपने सवालों के जवाब और मार्गदर्शन पा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नवरात्रि 2025 में कन्या पूजन 29 सितंबर, सोमवार को अष्टमी तिथि पर होगा। आप 30 सितंबर, मंगलवार को नवमी तिथि पर भी कन्या पूजन कर सकते हैं। शुभ समय सुबह 9 से 11 बजे के बीच है।
शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से होगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:15 से 07:45 बजे तक है।
नवरात्रि कन्या पूजन में आप कन्याओं को दक्षिणा, लाल चुनरी, या स्टेशनरी दे सकते हैं। प्रसाद में पूड़ी, हलवा और चना खिलाना शुभ माना जाता है।