कब है छठ पूजा 2025: तिथि, पूजा विधि और महत्व

छठ पूजा 2025 भारत का एक पवित्र और प्रमुख त्योहार है। इसे खास तौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। दिवाली के ठीक बाद आने वाला यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। कब है छठ पूजा 2025? इस वर्ष छठ पूजा का आयोजन दिवाली के बाद होगा। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर घाटों और नदियों के किनारे अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ पूजा व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और जीवन में शांति का आशीर्वाद लाता है।
2025 में छठ पूजा कब है?
छठ पूजा बुधवार, 22 अक्टूबर, 2025 को शुरू होगी और शनिवार, 25 अक्टूबर, 2025 को समाप्त होगी। यह सप्ताह के सोमवार को नहाय खाय के साथ शुरू होती है और सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
नहाय खाय 2025 तिथि: 22 अक्टूबर 2025
खरना 2025 तिथि: 23 अक्टूबर 2025
पहला अर्घ्य: 24 अक्टूबर 2025
दूसरा अर्घ्य: 25 अक्टूबर 2025
यह चार दिवसीय पर्व अनुशासन और पूजा-अर्चना की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
छठी मैया की पूजा क्यों की जाती है
छठी मैया को सुख, समृद्धि और संतान की लंबी आयु प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। भक्तगण उनके सम्मान में व्रत रखते हैं और अधिक से अधिक समय बिना जल ग्रहण किए उपवास करते हैं। यह व्रत न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि शक्ति, निष्ठा और त्याग का अनुभव भी कराता है।
पूजा का महत्व
छठी मैया की पूजा से परिवार में:
- शांति और पप्रेम और एकता बढ़ती है
- स्वास्थ्य और लंबी उम्र मिलती है
- संतान की रक्षा और खुशहाली सुनिश्चित होती है
भक्त मानते हैं कि यह व्रत और पूजा सौर ऊर्जा के सही उपयोग का मार्ग भी दिखाता है।
क्यों महत्वपूर्ण है सूर्य को अर्घ्य देना
छठ पूजा के अनुष्ठान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किए जाते हैं। ये समय इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि:
- सूर्य की ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय होती है
- अर्घ्य देने से जीवन में बाधाएं दूर होती हैं
- मानसिक शांति मिलती है
कब है 2025 में छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त के कारण यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण उत्सव है।
शुरुआती अर्घ्य चंद्रोदय: 24 अक्टूबर 2025, शाम लगभग 5:30 बजे
दूसरा अर्घ्य सूर्योदय का समय: 25 अक्टूबर 2025, सुबह लगभग 6:15 बजे।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि वे सही समय पर पूजा पाठ करें क्योंकि ज़्यदातर भक्त ज्योतिषियों से परामर्श करके यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अपनी स्थिति के अनुसार सही मुहूर्त चुन रहे हैं।
छठ पूजा के पीछे की प्रमुख कथाएं
कथा | विवरण | महत्व |
महाभारत काल | द्रौपदी और पांडवों ने सुख-समृद्धि और राज्य की रक्षा के लिए छठ व्रत किया। | कठिनाइयों से मुक्ति और समृद्धि का प्रतीक। |
माता सीता | अयोध्या लौटने के बाद माता सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य पूजा की। | परिवार और राज्य में सुख-शांति का संदेश। |
सूर्य पुत्री छठी मैया | छठी मैया को संतान और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है। | संतान की लंबी आयु और परिवार की रक्षा का आशीर्वाद। |
छठ पूजा के चार महत्वपूर्ण दिन
1. नहाय खाय
पहला दिन नदियों या जल में पवित्र स्नान करने से शुरू होता है। भक्त अपने घरों की साफ़ – सफाई करते हैं और सात्विक भोजन, आमतौर पर कद्दू, चावल और दालें, तैयार करते हैं।
2. खरना
दूसरा दिन भक्तों के लिए उपवास का दिन होता है। शाम को, वे गुड़, चावल और दूध से बनी खीर बनाते हैं। इसे भगवान को अर्पित किया जाता है और बाद में इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
3. पहला अर्घ्य
तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। लोग तालाबों या नदियों में कमर तक पानी में जाकर, व्रती डूबते सूर्य को नदियों में पहला अर्घ्य देते हैं।
4. दूसरा अर्घ्य
चौथे दिन, उगते सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसी अनुष्ठान के साथ व्रत का समापन होता है और परिवार भगवन का आभार कर खुशी के साथ उत्सव मनाते हैं।
छठ पूजा में क्या पारंपरिक भोजन बनाये जाते है।
छठ पूजा के दौरान खाया जाने वाला भोजन शुद्ध, सात्विक होता है और इसमें प्याज और लहसुन नहीं होता। कुछ लोकप्रिय व्यंजनों में शामिल हैं:
- गुड़ की खीर
- चावल और दाल
- ठेकुआ (गेहूँ के आटे और गुड़ से बना व्यंजन)
- केला और नारियल फल।
ये भोजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं, और फिर रिश्तेदारों और दोस्तों को प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।
छठी मैया के लिए बनने वाले विशेष भोग
अनुष्ठान में भक्त जो प्रसाद तैयार करते हैं, वे हैं:
- भगवान को केला, नारियल और मीठा नींबू का भोग लगाया जाता है।
- गन्ना भी अर्पित किया जाता है।
- चावल की मिठाई, ठेकुआ और गुड़।
- धरती पर टोकरी रखकर एक दीपक रखा जाता है।
यह सब भक्त अपनी पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ छठी मैया की भक्ति में करते है।
छठ पूजा के दौरान क्या करें और क्या नहीं
करें | न करें |
वातावरण को साफ रखें और पवित्र स्नान करें | नशीली दवाइयाँ या शराब का सेवन न करें |
सात्विक आहार का पालन करें | भोजन में प्याज और लहसुन का उपयोग न करें |
पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत रखें | व्रत बीच में न तोड़ें |
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पित करें | गैर पारंपरिक बर्तन का उपयोग न करें |
पूजा को सरल और पवित्र रखें | नकारात्मक या कठोर व्यवहार न करें |
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
छठ पूजा भक्ति और क्रम से जुड़ी है। भक्तों को अनुष्ठानों में कोई कमी नहीं करनी चाहिए। किसी भी भव्य आयोजन की बजाय, मन और तन की पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप घर पर अनुष्ठान नहीं कर सकते हैं, तो आप ऑनलाइन पूजा सेवा का भी उपयोग कर सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आपकी प्रार्थनाएँ सही ढंग से की जाएँ, भले ही आप घर पर न हों।
निष्कर्ष
छठ पूजा एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति और भक्तों के बीच समर्पण का पर्व है। यह हमें त्याग, विनम्रता और भक्ति की शिक्षा देता है। सूर्योदय के समय अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को पवित्रता और आस्था का प्रतीक माना जाता है, इसलिए प्रत्येक क्रिया शुद्ध भोजन तैयार करने में पवित्रता और आस्था का भाव दिखाती है।
यह पर्व 2025 में परिवारों में फिर से खुशी, शांति और एकता का संचार करेगा, जब सभी छठी मैया की पूजा करने के लिए एक साथ आएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल ?
छठ पूजा में व्रती चार दिन तक व्रत रखते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
छठ व्रत 2025 में 26 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक है। यह कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि पर शुरू होता है।
बच्चे के छठी पूजन में उन्हें साफ कपड़े पहनाकर छोटा सा अर्घ्य दिया जाता है। माता-पिता मिलकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
फलों, नारियल, चीनी, गेंहू, चावल, ठेकुआ और मिट्टी के बर्तन की जरूरत होती है। अर्घ्य देने के लिए दीपक और पवित्र पानी भी चाहिए।
बच्चे की छठी पूजा जन्म के बाद पहले या दूसरे साल कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को की जाती है। यह माता-पिता और परिवार की आस्था पर निर्भर करता है।
भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्घ्य अर्पित कर व्रत किया जाता है। लोग निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्य को धन्यवाद देते हैं।